Sunhare Pal

Friday, May 28, 2010

जिन्दगी यहां


हर कदम से ताल मिला ले
ऐसी भी आसान नहीं है जिन्दगी यहां
पल पल मरकर भी
जीते है लोग
ऐसी भी लाचार नहीं है जिन्दगी यहां
नफे नुक्सान का हिसाब न मांगे
ऐसी भी बेजुबां नहीं है जिन्दगी यहां
अरे हंसने वालो
सिसक सिसक कर दम तोड़ती
है जिन्दगी यहां
अपनी राते काली कर
महफिल रोशन करती है जिन्दगी यहां
मां बहन बेटी बीबी नहीं
सिर्फ औरत बनकर
बिस्तर की सलवटे
बनती है जिन्दगी यहां

5 comments:

Unknown said...

सार्थक अभिव्यक्ति..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

संवेदनशील रचना

aarkay said...

jeevan ke katu satya ko ujagar karti ek sashakt rachana

aarkay said...

jeevan ke katu satya ko ujagar karti ek sashakt rachana

Shekhar Kumawat said...

jeevan ke katu satya ko ujagar karti ek sashakt rachana