Saturday, June 23, 2012
हस्ती इनकी
बीच रास्ते में चलते
कई बार आ घेरती है रेवड़
रेवड़, जिसकी भेड़चाल
देखकर मन विमोहित सा
हो उठता है
सिर झुका कर
एक के पीछे एक लग
अनुसरण करते जाना
क्या यही हैं
इनकी करूण गाथा ?
रेवड़, जो लिए चलती है
एक कुत्ता, अपने संग
जो चैकसी करता है
रखवाली भी कभी कभी
मार्गदर्शन लेना
वो भी एक कूकर से
क्या नहीं है
भीरूता इनकी?
रेवड़, जो धरती पर
भूचाल बन बढ़ती जाती
तनिक टूटी या बिखरी तो
फिर आ जुड़ती
चुम्बक जैसी खींच कर
फिर सट जाती झुंड में
हां, यही है
विराट हस्ती इनकी
रेवड़ कह लो इनको या झुंड
झुंड में रहना, जीना, खाना
झुंड के पीछे झुंड
दसियों बीसियों नहीं
सैंकड़ो की तादाद में होते हुए
रोक दे जो बहते रास्ते
क्यों कहते हो उसे तुम
एक निरीह भेड़
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2 comments:
आदरजोग श्रीमती विमला भंडारी जी
आपनैं आपरै राजस्थानी बालकथा संग्रह "अणमोल भेंट" पर
केन्द्रीय साहित्य अकादमी रौ वरस २०१३ रौ पुरस्कार घोषित हुयो जाण'र घणो हरख हुयो
♥ घणी घणी बधाई सा... ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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बहुत सुन्दर
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